औद्योगिक विकास भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिशा निर्धारक रहा है। भाप इंजन से लेकर आज तक की वास्तव में ग्लोबल प्रोडक्शन चेन्स एंड प्रोसेसेस (वैश्विक उत्पादन श्रृंखलाओं और प्रक्रियाओं) तक उद्योगों ने हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बदला है और हमारे समाज में बड़े बदलाव लाने में सहायता की है। किन्तु टिकाऊ तौर-तरीकों, आधुनिक प्रौद्योगिकी और बुनियादी सुविधाओं की उपस्थिति के अभाव में हम मनचाही वृद्धि नहीं कर पा रहे हैं, जो एक विचारणीय मुद्दा है। विकासशील देशों में कुल मिलाकर करीब 2.6 अरब लोग दिन भर के लिए बिजली पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसके अलावा दुनिया भर में 2.5 अरब लोग बुनियादी स्वच्छता से वंचित हैं, जबकि लगभग 80,00,000,00 लोगों को जल सुलभ नहीं है। जिनमें से लाखों लोग सहारा के दक्षिणी अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया में अनेक निम्न आय वाले देशों के लिए बुनियादी सुविधाओं की मौजूदा सीमाएं उत्पादकता पर करीब 40% तक असर डालती हैं। ऐसा अनुमान है कि उद्योग और संचार की एक मजबूत वास्तविक श्रंखला उत्पादकता और आय बढ़ा सकती है और स्वास्थ्य, खुशहाली तथा शिक्षा में सुधार ला सकता है। इसी तरह से टेक्नोलॉजी की प्रगति देशों के रूप में हमारी खुशहाली बढ़ाती है और पहले से अधिक संसाधनों एवं ऊर्जा कुशलता के माध्यम से पृथ्वी की स्थिति में भी सुधार कर सकती है।सतत् विकास के उद्योग, नवाचार तथा बुनियादी सुविधाएँ लक्ष्य के माध्यम से देश की सरकार ने संकल्प लिया है कि अधिक जानदार बुनियादी सुविधाओं में निवेश, सीमा के आर-पार सहयोग तथा छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन, सतत् औद्योगिक विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। साथ ही यब भी सुनिश्चित किया है कि हमें अपना औद्योगिक ढांचा सुधारना होगा और उसमें नई टेक्नोलॉजी की प्रमुख भूमिका होगी। सरकारों और कंपनियों को नवाचार, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रोत्साहन (साइंटिफिक रिसर्च प्रमोशन) तथा सबके लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की सुलभता सुधारने हेतु एक अनुकूल नीतिगत माहौल पैदा करने में योगदान देना होगा। #2030 के भारत के सतत विकास का एक लक्ष्य उद्योग, नवाचार तथा बुनियादी सुविधाएँ प्राप्त करना है। इस लक्ष्य का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय और सीमाओं के आर-पार बुनियादी सुविधाओं सहित गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय, टिकाऊ और जानदार बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है जिससे आर्थिक विकास हो और मानव कल्याण को सहारा मिले। इसके साथ ही एम्प्लॉयमेंट एंड ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद) में राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार उद्योग की हिस्सेदारी में बहुत अधिक वृद्धि की जाए। इसके साथ ही, सरकार के मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रमुख प्रयासों तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के बल पर नवाचार और सतत् औद्योगिक एवं आर्थिक विकास को गति मिल रही है।
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।