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हिंदी पत्रकारिता दिवस -30 मई 2022

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 हिंदी पत्रकारिता दिवस -30 मई 2022

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भारतीय लोकतंत्र, समाज एवं राष्ट्र के सजग प्रहरी के रूप में अपना अमूल्य योगदान देते हैं पत्रकार। आज ही के दिन 30 मई 1826 में हिंदी का पहला अखबार उदंत मार्तंड प्रकाशित हुआ था। कानपुर में जन्मे और पेशे से वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक थे। दरअसल जब भारत में उर्दू, अंग्रेजी, फ़ारसी आदि भाषा का प्रचार प्रसार हो रहा था। तब हिंदी भाषा के जो पाठक थे उनको हिंदी समाचार पत्र की जरुरत महसूस हुई। तब हिंदी की प्रगति के लिए किया गया यह एक प्रयोग था। यही वजह है कि इस दिवस को हिंदी पत्रकारिता दिवसHindi Journalism Day के रूप में मनाते हैं और 30 मई के दिन भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव पड़ी थी। इस दिन पर यह हम उम्मीद करते हैं कि पत्रकार, पत्रकारिता के माध्यम से जनहित-जनसरोकार के विषयों पर सामाजिक चेतना बनाए रखने के कर्तव्य पथ पर हमेशा अनवरत प्रगतिशील रहेंगे और सदैव निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता से लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करते रहेंगे। Think With Niche भी अपने न्यूज़ वर्टीकल के माध्यम से इसी दिशा में अपना योगदान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है। हमारी तरफ से पाठकों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की बहुत बधाई।

अपनी लेखनी से देश की सामाजिक प्रगति में उल्लेखनीय भूमिका निभाने हैं Journalist पत्रकार। स्वाधीनता आंदोलन में पत्रकारिता ने स्वतंत्रता की अलख जगाने में अहम भूमिका निभायी थी। निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता Fair and Fearless Journalism ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव होती है। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस Hindi Journalism Day है। आपको बता दें कि आज ही के दिन 30 मई साल 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार "उदन्त मार्तण्ड" Udant Martand प्रकाशित हुआ था। यह हिंदुस्तानियों के हित को ध्यान में रखकर प्रकाशित हुआ था। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ Fourth Pillar of Democracy माना जाता है और इस स्तम्भ की सुदृढ़ता के सजग प्रहरी के रूप में अपना अमूल्य योगदान दे रहे सभी पत्रकार बंधुओं को समर्पित है यह दिन। हिंदी पत्रकारिता ने अनेक सोपान तय करते हुए उस पवित्र ध्येय के प्रति सत्यनिष्ठा सुनिश्चित की है। हिंदी पत्रकारिता का हमारे देश में एक स्वर्णिम इतिहास Golden History रहा है। आज के समय को देखते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता fair journalism लोकतंत्र की एक मूल आवश्यकता basic need of democracy है। क्योंकि जितनी मजबूत पत्रकारिता होगी, उतना ही प्रजातंत्र भी सुदृढ़ होगा और साथ ही देश का विकास भी। पत्रकारिता संप्रेषण का एक सशक्त माध्यम Powerful Medium of Communication है। पत्रकारिता के माध्यम से हमें समाज मे किसी भी क्षेत्र में घटित घटनाएं तुरंत ही मिल जाती है। पत्रकारिता लोगों को जागरूक करने के साथ शिक्षित भी करती है और साथ ही मनोरंजन भी प्रदान करती है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि हिंदी पत्रकारिता दिवस Hindi Journalism Day क्या है, इस दिन का क्या महत्व है और क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस।

क्या है 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' और क्यों मनाया जाता है? 

पत्रकारिता Journalism आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है। इसके अंतर्गत समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, लोगों को शिक्षित करना, समय समय पर लोगों को जागरूक करना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और प्रस्तुतीकरण आदि शामिल है। पत्रकारिता राष्ट्र में घटने वाली सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारें में चिंतन की प्रक्रिया को जन्म देकर उसे सही दिशा में अग्रसर होने में सहायता करती है। वास्तविक पत्रकारिता तो एक मार्गदर्शिका, जीवन-निर्मात्री तथा सामाजिक मूल्यों की विधायिका है। पत्रकारिता का आज के समय में अत्यंत महत्व है। अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता, मीडिया, टेलीविजन, फिल्म, समाचार-पत्र Newspapers, Magazines, Radio, Doordarshan, Web-Journalism, Media, Television, Film, Newspapers आदि ऐसे माध्यम हैं, जिनके द्वारा समाज मे किसी भी क्षेत्र में घटित घटनाएं हमें तुरंत ही मिल जाती है। यानि आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं। यह किसी भी जानकारी को प्राप्त करने का एक जरिया a means of obtaining information है। पत्रकारिता जनता को सचेत करती है साथ ही मनोरंजन भी प्रदान करती है। 30 मई के दिन भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव पड़ी थी। 30 मई 1926 को “उदन्त मार्तण्ड” नाम से पहला हिंदी भाषा का अखबार का प्रकाशित हुआ और तब से 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब हिंदुस्तान में अंग्रेजी, फारसी ,उर्दू और बांग्ला भाषा के अखबार छपते थे तब कलकत्ता में कानपुर के रहने वाले अधिवक्ता जुगल किशोर शुक्ला Jugal Kishore Shukla ने हिंदी पत्रकारिता के इतिहास की नींव रखी। कानपुर में जन्मे और पेशे से वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक थे। उन्होंने कलकत्ता Calcutta को अपनी कर्मभूमि बनाया और वकील के साथ-साथ पत्रकार तथा संपादक व प्रकाशक भी बन गए। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने ही की थी। आज के समय में समाचार पत्र का अपने आप में एक बहुत बड़ा महत्व है। मीडिया ने आज सारे विश्व में अपनी एक ख़ास पहचान बना ली है।

हिंदी के पहले अखबार की शुरुआत और आर्थिक तंगी 

कानपुर के रहने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल कई भाषाओं के ज्ञाता होने के साथ वकील थे। वे हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला भाषा के भी जानकार थे। उन्होंने उदन्त मार्तण्ड के लिए कई प्रयास शुरू किए और तब जाकर उन्हें उन्हें 19 फरवरी 1926 को गवर्नर जनरल से अखबार शुरू करने की अनुमति मिल गई। इस अख़बार को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। उदन्त मार्तण्ड अखबार को 500 कॉपियों के साथ शुरू किया गया। दरअसल बंगाल में हिंदी भाषा के जानकार कम होने के कारण इसे पर्याप्त पाठक नहीं मिल पाए और अन्य राज्यों में अखबार को डाक से भेजने का खर्चा भी ज्यादा आता था। इसलिए पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने सरकार से डाक की दरों में कुछ छूट भी मांगी लेकिन तत्कालीन ब्रिटिश सरका British government ने उनकी बात नहीं मानी। अखबार चलाने में आर्थिक कठिनाई के कारण लगभग 79 अंक प्रकाशित होने के बाद इसको बंद करना पड़ा और आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को उदन्त मार्तण्ड बंद हो गया।

Tags: hindi journalism day 2022, fair and fearless journalism, journalism

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