बजट 2021 -22 : भारत की पहली डिजिटल बजट महत्ब्पूर्ण और पूरी पेपर लेस आजाद भारत का पहला बजट 26 नबंबर 1947 को पेस किया गया था था उसी समय से प्रिंट करने की परम्परा चल रही थी हलाकि इसबार कुछ अलग हुआ है जो कोविड 19 के कारन सरकार ने वृत्त वर्ष 2021 -22 के आम बजट को कागज पर प्रिंट नहीं हुआ बल्कि इस बार पूरी बजट डिजिटल रखा गया बजट के पहली बार इतिहास में बजट कागज पर छपाई नहीं हुई बल्कि डिजटल बजट रखा गया और फूली पेपर लेस रहा इसे हम कह सकते है की पेपर लेस बजट वित्तमंत्री ने लाल रंग का टैबलेट पर बजट को पढ़ा और इस टैबलेट पर अशोक स्तभ का चित्र था वित् वर्ष का बजट के 6 स्तम्भों पर टिका है स्वस्थ और कल्याण आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकाश भौतिक और वित्तीय अवसंरचना मानव पूंजी में नवजीवन का संचर सरना नवाचार अनुसन्धान और विकाश न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन राजकोषीय स्थिति बजट 2020 -21 में 30.
42 लाख करोड़ खर्च हुआ था राजकोषीय स्थिति बजट 202१-22 में 34.
50 लाख करोड़ खर्च करना है राजकोषीय स्थिति घाटा 2020 -21 में 3.
5 प्रतिशत बजट 2021 -22 : भारत की पहली डिजिटल बजट महत्ब्पूर्ण तथ्य 2021 पद्म विभूषण सम्मान पाने वालों की सूचीगणतंत्र दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार दिया जाता है इसके तहत किसी खास क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले नागरिक को तीन श्रेणीयो पदम् विभूषण , पदम् भूषण , पदम् श्री से सम्मानित किया जाता है राजकोषीय स्थिति घाटा 2021 -22 में 6.
8 प्रतिशत भारत की आकस्मिकता निधि पहले 500 करोड़ का था लेकिन अब इस बार 30000 करोड़ का दिया गया बरिष्ठ नागरिको को इस बार 75 वर्ष से अधिक के व्यक्ति को क्र से छूट कर दिया गया है पिछले वर्ष की तुलना में स्वास्थ्य और कल्याण के बजट में 137 प्रतिशत किबड़ोत्री किया है एक नई केंद्रीय प्रायोजित योजना पीएम आत्मनिर्भर स्वास्थ्य भारत योजना 64.
180 करोड़ के परिव्यय के साथ ६ वर्ष क लिए लांच की गए है 17 लोकस्वस्थ इकाइयां की स्थापना २ मोबाइल अस्पताल की स्थापना 15 आपत्कालीन आपरेशन केंद्र की स्थापना क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल विषनु विझान के लिए ४ प्रयोगशाला पोषण और जल आपूर्ति के अंतर्गत संपूरक पोषण कार्यकर्म और पोषण अभियान का विलय मिशन पोषण 2.
#2030 के भारत के सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि। उत्कृष्ट कार्य का सीधे तौर पर आशय अच्छे गुण से युक्त कार्य से है। इस लक्ष्य का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी सीरीज के पॉइंट 4 से नाता है, क्योंकि उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कहीं न कहीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता होती ही है। यदि हम इस विषय के इतिहास की बात करें, तो दुनियाभर में वार्षिक आर्थिक वृद्धि सन् 2000 में 3% थी, जो घटकर 2014 में 1.3% रह गई। वैश्विक बेरोजगारी 2007 में 17 करोड़ से बढ़ते-बढ़ते 2012 में करीब 20.2 करोड़ हो गई, जिसमें से करीब 7.5 करोड़ युवतियां और युवक थे। इस धीमी और असामान्य प्रगति को देखते हुए प्रशासन ने यह निश्चय किया कि गरीबी मिटाने की हमारी आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर नए सिरे से सोचकर नए साधनों का सहारा लेना होगा। सतत् विकास एजेंडा का मूल मंत्र है ‘कोई पीछे छूटने न पाए’। साथ ही ‘सभी को मिले काम, ऐसा हो अर्थव्यवस्था में सुधार’ मोटो को अपनाकर इस लक्ष्य के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। 10 और 24 वर्ष की आयु के बीच 36 करोड़ से अधिक युवाओं के साथ भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी निवास करती है। इस डेमोग्राफिक प्रॉफिट के उपयोग पर ही देश के लिए संपन्न और जानदार भविष्य की रचना का सारा दारोमदार है। किन्तु उच्चतर शिक्षा में भारत का सिर्फ 23% का सकल भर्ती अनुपात दुनिया में सबसे कम अनुपातों में से एक है। भारत में श्रम शक्ति हर वर्ष 80,00,000 से अधिक बढ़ जाने का अनुमान है और देश को अब से लेकर 2050 तक 28,00,00000 रोजगार जुटाने की जरूरत होगी, जिसके परिणाम स्वरुप उपरोक्त मौजूदा स्तरों में एक-तिहाई वृद्धि होगी। उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि लक्ष्य का उद्देश्य 2030 तक हर जगह सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार हासिल करना, युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, क्षेत्रों, आयु समूहों और लिंग के आधार पर असमानता को कम करना, अनौपचारिक रोजगारों में कमी करना, सभी श्रमिकों के लिये सकुशल और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि #2030 के भारत में अक्षम या अपंग व्यक्तियों सहित सभी लोगों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और साथ ही बाल श्रम को भी खत्म किया जाए। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय सेवा योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे सरकार के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों का उद्देश्य सभी के लिए उत्कृष्ट कार्य जुटाना है।
– (Beed Model in Hindi ) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के ‘बीड मॉडल’ के राज्यव्यापी कार्यान्वयन के लिए कहा। आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से बीमा योजना कैसे काम करती है?
2016 में लॉन्च किया गया फ्लैगशिप PMFBY (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) खराब मौसम की घटनाओं के खिलाफ खेत के नुकसान का बीमा करती है। किसान प्रीमियम का 1.5-2% भुगतान करते हैं और शेष राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यह केंद्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य के कृषि विभागों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय योजना है। किसानों के लिए प्रीमियम की कम दर और अपेक्षाकृत अच्छा कवरेज योजना को आकर्षक बनाता है। उदाहरण के तौर में समझे जैसे 1300 रुपये का प्रीमियम 45,000 रुपये में एक हेक्टेयर सोयाबीन का बीमा कर सकता है। 2020 से पहले तक यह योजना उन किसानों के लिए वैकल्पिक थी जिनके पास ऋण लंबित नहीं था। लेकिन ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य था। 2020 से यह सभी किसानों के लिए वैकल्पिक है।जाने महाराष्ट्र फसल बीमा का बीड मॉडल किस पर जोर दे रहा है ?